हिन्दू आस्था,हिंदुत्व और हिन्दुस्थान दृढ़ता का प्रतीक सोमनाथमंदिर: मित्रों आप में से ज्यादातर लोग इस मंदिर के के बारे में जानते होंगे.. प्रयास कर रहां हूँ थोड़ी विस्तृत जानकारी दूँ हमारे दृढ़ता के इस हिमालयी स्तम्भ के लिए.. सोमनाथ की भौगोलिक अवस्थिति : हिन्दुस्थान के राज्य गुजरात में स्थित सोमनाथ मंदिर मात्र एक मंदिर न होकर हिंदुस्थानी अस्मिता का प्रतीक भी है..महादेव का येमंदिर १२ ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है..इस मंदिर का भगवान महादेव के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक प्रमुख स्थान है और प्राचीन काल से ये स्थल पर्यटन और श्रधा का एक केंद्र रहा है..गुजरात में सौराष्ट्र के बेरावल से 10 किलोमीटर दूर ये पावन स्थल स्थित है.. सोमनाथ का प्राचीन इतिहास:सोमनाथ के मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है..यह हिन्दुस्थान के प्राचीनतम तीर्थों में एक है.ऋग्वेद जैसे प्राचीन ग्रंथों में इसका वर्णन मिलता है..शिव के बारह ज्योतिर्लिंगोंमें से इसे प्रथम माना जाता है..ऋग्वेदके अनुसार इसका निर्माण स्वयं चंद्रदेव सोमराज ने कराया था..सोमनाथ दो शब्दों से मिल कर बना है सोम मतलब चन्द्र और नाथ का मतलब स्वामी.इस प्रकार सोमनाथ का मतलब चंद्रमा का स्वामी होता है... दुसरे युग में इसका निर्माण रावण ने चांदी से कराया.. ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण ने अपना शारीर त्याग इस स्थान पर कियाथा जब एक बहेलिये ने उनके चमकते हुए तलवे को हिरन की आँख समझकर शर संधान किया था..इस कारण इस स्थल का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व और भी बढ़ जाता है.. सातवी सताब्दी में बल्लभ राजाओं ने इस मंदिर को बृहद रूप से सृजित कराया.. मंदिर का खंडन और बार बार पुनर्निर्माण: इस मंदिर को तोड़ने और लुटने की परम्परा आतताइयों द्वारा लम्बी चली .. मगर हर बार हिन्दुओं ने येबता दिया की "कुछ बात की हस्ती मिटती नहीं हमारी"आठवीं सदी में सिंध गवर्नर जुनायद ने इसे नष्ट करने का प्रयास किया तो ८१७ इसवी में नागभट्ट जो प्रतिहारी राजा था उसने इसका पुनर्निर्माण कराया..इसके बाद ये मंदिर विश्वप्रसिद्द हो गया .. अल बरुनी नमक एक यात्री ने जब इस मंदिर की ख्याति और धन का विवरण लिखा तो अरब देशों में कुछ मुस्लिम शासकों की लूट की स्वाभाविक वृत्ति जाग उठी...उनमें से एक पापी नीच था मुहम्मद गजनवी उसने१०२४-२५ में आक्रमण कर इसके धन को लूटा मंदिर को खंडित किया और शिवलिंग को खंडित किया और इस इस्लामिक लुटेरे ने ४५००० हिन्दुओं का क़त्ल कर दिया..फिर क्या था हिन्दू शासक मंदिर का बार बार निर्माण करते रहे और इस्लामिक लुटेरे इसे लूटते रहे..गजनवीकी लूट बाद हिन्दू राजा भील और मालवा ने इसका पुनर्निर्माण कराया..मगर १३७४में अफजल खान ने अपना लुटेरा गुण दिखया और लूट मचाने चला आया ये इस्लामिक लुटेरा..अब तो १३७४ से आखिरी बाबरी औलाद औरन्जेब ने इसे लूटा और तोड़ फोड़ की...हिन्दू अपनी सामर्थ्य के अनुसार निर्माण करते,कुछ सालों बादबाबर की औलादे लूट करती...कुल मिलकर ऐसे २१ प्रयास हुए इसे तोड़ने के लुटने के और उसके बाद हिन्दू राजाओं और प्रजा द्वारा पुनर्निर्मित करने के..इस मंदिर के देवद्वार तोड़ कर आगराके किले में रखे गएँ है . जैसा की ज्यादातर हिन्दू पूजा स्थलों के साथ हुआ सोमनाथ को भी १७०६ में तोड़कर बाबर के वंशज आतातायी औरन्जेब ने मस्जिद निर्माण करा दिया. आजादी के बाद का इतिहास : गुलामी के इस चिन्ह कोहटाने के लिए में नमन करना चाहूँगा बल्लभ भाई पटेल और सौराष्ट्र के मुख्यमंत्री उच्छंगराय नवल शंकर ढेबरका जिन्होंने हिन्दुस्थान में एक अपवाद दिखाते हुए कम से कम एक हिन्दू स्थल को उसके पुराने रूप में लेन का भागीरथ प्रयत्न किया और अपने अभीष्ट में वे सफल रहे...बल्लभ भाई पटेल इस स्थल का उत्खनन कराया तो उत्खनन करते समय करीब १०-15 फुट की खुदाई में नीचेकी नींव से मैत्री काल से लेकर सोलंकीयुग तक के शिल्प स्थापत्य के उत्कृष्टअवशेश पाए गए..।यहाँ उत्खनन द्वारा प्राप्त ब्रह्मशिला पर शिव का ज्योतिर्लिग स्थापित किया गया..यहाँ ये बात आप से साझा करा चलूँ की नेहरु मंत्रिमंडल ने इसके पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पास किया और मुस्लिम मंत्री मौलाना आजाद ने इसका अनुमोदन किया था...भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद ने ११ मई १९५१ को मंदिर में ज्योतिर्लिंग की प्राण प्रतिष्ठा की... कुछ गद्दार औरन्जेब कीऔलादों ने इसका विरोध किया..मगर उस समयलौहपुरुष बल्लभ भाई, सच्चे भारतीय मुस्लिम मौलाना आजाद और डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के सामने इनकी एक न चली...१२१ तोपों की सलामी के साथ हिन्दुस्थान और हिन्दुओं ने अपनी खोई हुए पहचान वापस पा ली और दिखा दिया पाकिस्तानी दलालों को की"कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी". . डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के शब्दों में.
‘‘सोमनाथ हिन्दुस्थानियों का श्रद्धा स्थान है। श्रद्धा के प्रतीक का किसी ने विध्वंस किया तो भी श्रद्धा का स्फूर्तिस्रोत नष्ट नहीं हो सकता। इस मंदिर के पुनर्निर्माण का हमारा सपना साकार हुआ। उसका आनन्द अवर्णनीय है।’ वर्तमान में सोमनाथ मंदिर की व्यवस्था और संचालन का कार्य सोमनाथ ट्रस्ट करता है.. मार्ग: गुजरात के बेरवाल से १० किलोमीटर, अहमदाबाद से ४१५ किलोमीटर गांधीनगर से ४४५ किलोमीटर तथा जूनागढ़ से लगभग ८५ किलोमीटर.. इन सभी स्थलों से बस की सुविधा उपलब्ध है सोमनाथ के लिए.. सोमनाथ से १९५ किलोमीटर की दूरी पर द्वारिका नगरी है जो की एक अन्य प्रमुख तीर्थ स्थल है.. कुछ अन्य बिन्दु हैं--- --यहां चन्द्रमा ने दक्षके श्राप से मुक्ति के लिये तप किया था..व शिव की क्रपा से उसे क्षय से मुक्ति मिली व उसकी प्रभा पुनः लौटी वपुनः प्रतिदिन उदय व अस्त होने लगा इसलिये इसे प्रभास क्षेत्र कहा जाता है...और मन्दिर को सोम के नाथ ..शिव का मन्दिर..व विश्व में प्रथम ज्योतिर्लिन्ग.. .---यहीं पर यमराज ने शिव की तपस्या से रोग-मुक्ति पाई एवं रति ने शिवजी द्वारा भस्म कामदेव को पुनः अनन्ग रूप मे पाया .. ---मन्दिर केसमीप एक स्तम्भ् पर एक तीर का निशान दक्षिण की ओर बना है जिसका अर्थ है..इस स्थान से दक्षिण ध्रुव के मध्य कोई भूभाग नहीं है... --समीप ही अहल्या बाई द्वारा १७८३ में बन्वाया सोमनाथ मन्दिर है जिसे पुराना सोमनाथ मन्दिर कहा जाता है. आज सोमनाथ मंदिर हमारे देश और बिदेशों में बसे हिन्दुओं के लिए एक प्रमुख श्रधा का केंद्र है.. इससे भी कही ज्यादा वो हर एक हिंदुस्थानी,चाह े वो सिख या हिन्दू होउसे स्वाभिमान और गर्व का कारण देता एक पवित्र स्थल..इतने बार खंडित किये जाने के बाद भी इस मंदिर का उस मंदिर का पुनर्निर्माण हिन्दुस्थान के सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की पूरे विश्व में एक अनूठी मिसाल है... यूनानो-मिस्रो-र ोमाँ सब मिट गए जहाँ से अब तक मगर है बाक़ी, नामो-निशाँ हमारा कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं
ॐ नमः शिवाय
aaj har inshan pareshan hai ma shiv sadhak hu jindgi milli hai to sukh dukh 2 pahlu jina padaga bhagwan ka karan pareshan honga ma nahi manta ha wo nahi honga to jarur pareshan ho jaunga ma hindu hu aur brhaman hu ma na apna yaha shivling rakha hai pranprtistha ka baad agar hum aap isth ko nahi rakh sakta to kon rakh sakta hai galat jankari dakar dharm ko hani naa kara shiv+hum=shivam in sabdo ko samjh jaya to aap bhi ek shivling aap naa yaha acha sa muhrat dekh kar sthapna kara sradha ka sath shiv kewal aap ka mangal karaga aur aap ka liya shivsadhak ki taraf sa chota sa sawal aap itni si baat ka jawab da sirf hum mandir kyo banwata hai
May it be possible to procure good quality seeds of all the three coloured varieties.
Mrer ghar me shivling apne aap hi utpann hue hai
Par dikkate to bahut hai par bahut badi badi durghatnao se raksha ki hai unhone hamare pariwar ki.
Harhar mahaadev...
aaj har inshan pareshan hai ma shiv sadhak hu jindgi milli hai to sukh dukh 2 pahlu jina padaga bhagwan ka karan pareshan honga ma nahi manta ha wo nahi honga to jarur pareshan ho jaunga ma hindu hu aur brhaman hu ma na apna yaha shivling rakha hai pranprtistha ka baad agar hum aap isth ko nahi rakh sakta to kon rakh sakta hai galat jankari dakar dharm ko hani naa kara shiv+hum=shivam in sabdo ko samjh jaya to aap bhi ek shivling aap naa yaha acha sa muhrat dekh kar sthapna kara sradha ka sath shiv kewal aap ka mangal karaga aur aap ka liya shivsadhak ki taraf sa chota sa sawal aap itni si baat ka jawab da sirf hum mandir kyo banwata hai
its all okey